Friday, October 8, 2021

!! लत ये लगाकर चला गया !!





ना जाने क्या  क्या  रंग दिखाकर चला  गया !
जख्मों पर आज नमक  लगाकर  चला गया !! 

उम्र  भर बुझाएं  फिर  भी ना भुझे   शायद ,
ज़ालिम ये  ऐसी  आग लगा  कर चला गया !!

उसका  गुनाह  कोई  साबित  करे तो कैसे,  
जितने भी  थे  सबूत  मिटा  कर  चला गया !!

देखे   बिना  उसको  आता ना अब   क़रार,  
आँखों को कैसी लत ये लगाकर चला गया !!

थकता  ना  कभी  था  तारीफ़  करते  मेरी, 
सौ ऐब आज  मुझमें  गिना  कर चला गया !! 

कहता जो रहा आज,दिखाकर चला गया,
पानी  में   जैसे  आग  लगाकर  चला गया !!

रचना -जय प्रकाश ,जय ०८ अक्टूबर २०२१ 






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