Monday, April 12, 2021

!!चाँद जब ख़ुल के मुस्कराता है !!








चाँदनी   पर      शबाब     आता है ! 
चाँद  जब   ख़ुल  के  मुस्कराता है !!१ 

शराब  ख़ुद   जब   पीने  लगती है ,
आदमी  जीते   जी    मर  जाता है !!२ 
अपनी   ज़ानिब  देखता  भी  नहीं ,
उसका जब काम निकल जाता है !!३ 

अंधेरे घर से  फिर  निकलते कहाँ , 
सोया   सूरज   जब   जाग जाता है !!४ 
मौत    उसको    नहीं    डराती  है ,
मौत से आँख जो मिलाता जाता है !!५ 

हमें  अपनी    ख़बर   नहीं   रहती ,
जब  वो   शिद्दत से  याद आता है !!६ 
मुफ़लिसी    कैसी   सज़ा  है यारों, 
ग़रीब    जीता    ना   मर  पाता है !!७ 

सच   बताने  से कब  घबराता  है !
भले  ही  आईना   टूट    जाता  है !!८ 

रचना -जयप्रकाश ,जय १३ अप्रैल २०२१ 


शबाब -यौवन ,ज़ानिब-तरफ़ 
शिद्दत से - तीब्रता से , मुफ़लिसी -ग़रीबी 



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