PART- 1 / Version-1.2
अकेले मैं ही सब वादे निभाऊं क्या !
बता क्या क्या करूँ मर जाऊँ क्या !!
दाग़ चेहरे पर नजर आता है,
कह तो मैं आईना दिखाऊं क्या !!
खुदा बनने की कोशिश कर रहा है ,
हस्र के क़िस्से कुछ सुनाऊँ क्या !!
दिल को जो शाद , रूह को पुरनूर करे,
एक ग़ज़ल ऐसी भी बनाऊँ क्या !!
पत्थरों तुम अगर इज़ाज़त दो ,
मकाँ शीशे का एक बनाऊँ क़्या !!
फ़ायदा ख़ामोशी का उठाने वालों ,
जुबाँ खोलने की हिम्मत जुटाऊं क्या !!
इश्क ख़ता है गर , तो इतना बता ,
इन आँखों के समंदर में डूब जाऊँ क्या !!
रचना -जयप्रकाश ,जय २२ अगस्त २०२१
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