Thursday, February 4, 2021

!! जुर्म बरक़रार है !!










जो   गुनहगार   है   वो  आज   भी   फ़रार है !
बेगुनाहों     पे     मगर     जुर्म    बरक़रार  है !!१ 

जलाया शहर  जो   ज़रूर  जुर्म  था  उसका ,
जिसने  साजिश थी रची असली गुनहगार है !!२ 

नींद  और  चैन  दोनों   ही  उड़ा  है  उनका ,
शहर से गांव  तलक जिस कदर ललकार है !!३ 

ना  झुका  है   वो  आगे  ना  झुकेगा  शायद ,
ये   और   कुछ   नहीं    झूठा   सब  प्रचार है !!४ 

दोनों ही  ज़िद पे अड़े हैं अब  बच्चों की तरह ,
बढ़    रहा   रफ़्ता    रफ़्ता  और   तकरार   है !!५ 

रास्ते    रोकने    के    ढंग    अनोखे   है बड़े ,  
सड़क पर  कील - तारों  की  अब  दिवार है !!६ 

जो   बात  करने  में   भी  शर्त  लगा  देते हों  ,
ऐसे   लोगो  से   बात   करना  भी  बेकार है !!७ 

ये  जंग  जीत  के  ही अब  घऱों   को  लौटेंगे , 
अहिंसा  से   बड़ा   कोई  नहीं     हथियार है !!८ 

रचना -जयप्रकाश ,जय  ०४/०२/२०२१ 

 

No comments:

Post a Comment