Friday, September 24, 2021

!! पत्थर ख़ुदा नहीं !!







जिसे  ढूढ़ते  फिरते   हो  कहीं   गुमशुदा  नहीं  !
पत्थर    में    ख़ुदा    है    पत्थर    ख़ुदा    नहीं !!

वो  भी  पुकारता  है  ज़रा नींद  से  तो  जागो, 
जागे      बग़ैर        कोई        यहाँ   रास्ता   है !!
जितनी  भरी है  चाभी उतना  ही खेल   होगा,  
सांसों के कारवाँ  का   सदा  सिलसिला  नहीं !!

एक  तरफ तो  हवा  से भुझ  जाते  हैं   चराग़
दूजे    बग़ैर     इनके    जलता     दीया    नहीं !!

उसकी   ख़बर   तुम्हे   तब  तक  ना  मिलेगी
जब  तक  तुम्हे   मिलता है  अपना  पता नहीं !!
गम और ख़ुशी को साथ जब  से गले लगाया, 
इस  जिंदगी  को   मुझसे  कोई   गिला   नहीं !!

मौका मिला करता है  एक  बार फैसले   का , 
दुश्वारियां   दामन    में   अगर   हौसला  नहीं !!

रचना -जयप्रकाश ,जय २४ सितंबर २०२१        V-1.1





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