Thursday, September 16, 2021

!! सितमगर नहीं आया !!






आँखें   ये   मुंतज़िर  वो अभी घर नहीं आया ! 
सितंबर तो  आ  गया  सितमगर  नहीं आया !!

हाल-ए-बयां  करेंगे  सोचा  था ये    मिलकर,  
दिल  तोड़  दिया  उसने  कहकर नहीं आया !!
पत्थर  शहर  के  सारे   क्या    मोम  हो   गए, 
राहों   में  आज  एक  भी ठोकर नहीं  आया !!

हैरत   की   बात  ये   वो  भी   पास  हो  गया, 
कोरे रखे सब पन्ने कुछ लिखकर नहीं आया !!

क्यों  वार करें  उस पर  दुश्मन  ही सही  वो, 
दहलीज़ में अपने अगर  घुसकर नहीं आया !!
दुनियाँ   की  नज़र में  वो मशीहा  बना रहा, 
क्यूंकि मैं  कभी सामने खुलकर नहीं आया !!

सच्चाई  एक   एक   सबके  सामने  रख दी, 
हैरत   की  बात  ये की  पी कर  नहीं  आया !!

रचना -जय प्रकाश ,जय १५ सितंबर २०२१        V -1.1



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