रूह चन्द दिनों का बस मेहमान है !
ज़िस्म किराए का एक मकान है !!
तुम्हारा कर्म साथ जायेगा,
क्यूँकि ये कीमती सामान है !!
जो नहीं मरता, मर नहीं सकता,
पूरे गीता का यही ज्ञान है !!
कहीं जाने की ज़रुरत क्या है,
आप के अंदर ही समाधान है !!
दिल की एक बात बहुत अच्छी है ,
कभी देखे ना ख़ानदान है !!
किसी सामान की गारंटी नहीं,
सियासत ऐसी अब दुकान है !!
मंदिर मस्जिद की इतनी बातें क्यूँ ,
ज़र्रे ज़र्रे जब भगवान है !!
रचना-जयप्रकाश ,जय ०८ अगस्त २०२१
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