!!जो सच को छुपाये ,वो पत्रकार नहीं है!!
PART-2
दिल मानने को बात ये तैयार नहीं है !
कि दिलों के बीच मज़हबी दीवार नहीं है !!
जिसने मेरी ख़ातिर ज़माने को छोड़ा था,
वो कह रहा है आज मुझसे प्यार नहीं है !!
ये मुश्किलें मज़ीद बढ़ाएंगे एक दिन,
बच्चों में अगर थोड़ा संस्कार नहीं है !!
सड़कों पर बैठ कर,अपना दर्द-ए-बयां करें ,
सुनने के मूड में मग़र सरकार नहीं है !!
मैं वोट दूँ तो जाके आखिर मैं किसको दूँ,
इस बार भी कोई अच्छा उम्मीदवार नहीं है !!
सारे के सारे शहर ग़लतफ़हमी के शिकार,
जो गॉंव में रहता है वो गवाँर नहीं है !!
उसका तो शाम तक सारा झूठ बिक गया ,
मेरे सच का मगर कोई ख़रीदार नहीं है !!
मर्ज़ी है आप की उन्हें नाम कुछ भी दें,
जो सच को छुपाये , वो पत्रकार नहीं है !!
रचना -जयप्रकाश ,जय ०५ अगस्त २०२१
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