देखना हो तो पहले नज़र देखिये !
बाद में चाहे दिल और ज़िगर देखिये !!१
दूसरों को नशीहत ना देते फ़िरो ,
है मुनासिब यही अपना घर देखिये !!२
वो गया साथ में पूरा घर ले गया,
सूना सूना सा पूरा शहर देखिये !!३
नाम लेकर ख़ुदा का हूँ पी मैं रहा ,
कर ना पायेगा कुछ ये ज़हर देखिये !!४
काँच का घर बनाने चले हो मगर,
कितने पत्थर इधर और उधर देखिये !!५
मज़िलें तो सलामत हैं अपनी जग़ह,
चल रहें हैं किस रहगुज़र देखिये !!६
इस कलम के अब हैं दीवाने बहुत,
दिल तक जाने का मेरा हुनर देखिये !!७
रचना -जयप्रकाश ,जय ३१ अगस्त २०२१
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