Friday, September 3, 2021

!!ख़ुदा होना तो परम जागऱण है!!







लगेगा    की   यह   उल्टा   व्याकरण  है !    Version 1.1
संदेह  आस्था का मगर  पहला चरण  है !!
धर्म      विज्ञान   के    बिन    है    अधूरा,  
अभी  तक  का गलत  सब अनुसरण  है !!
धर्म   विज्ञानं   में   ना    द्वंद    कुछ   भी,  
हमारा   ही   ग़लत   कुछ  अनुकरण  है  !!
फ़ना    होता     नहीं   कुछ  भी धरा पर, 
बदलना    रूप    सबका   आचरण    है !!
मौत  बस   द्वार   है  अगले  सफर   का, 
नहीं   जो   जागते     उसका   मरण   है !!
हमारे    बीच    उसके    दरमियाँ    क्या,  
अहंकारों  का  बस  कुछ   आवरण    है !!
मौत    सब    छीन  लेती  यादें   पिछली, 
किसी  को भी नहीं  का  कुछ  स्मरण है !!
दिल   तो    बच्चा   है   जैसे  नाचिकेता,  
पाक    जिसका    सदा   अंतःकरण   है !! 
टटोलें     उपनिषद    को    और    देखें , 
ख़ुदा   होना    तो   परम    जागऱण   है !!
रचना -जय प्रकाश ,जय 03 सितबंर २०२१ 



No comments:

Post a Comment