बातें करती थकती नहीं है हिन्दू मुसलमान की !
मीडिया हिन्दुस्तान की ख़बरें पाक़िस्तान की !!
दो कौड़ी के मसलों पर चर्चा करती रहती !
बेरोज़गारी मॅहगाई से आँखें फ़ेरे रहती !!
असली मुद्दे घूट पीकर सो जाते अपमान की !!
एक जमाना था सिंघासन की नींद उड़ाया करती !
आये दिन सत्ता को आईना दिखलाया करती !!
नाक कटा कर रख दी इसने अपने ख़ानदान की !!
शासन से पूछो सवाल इसको मिर्ची लग जाती !
जब देखो तब एक ही राग, राग दरबारी गाती !!
तनिक नहीं है चिंता इसको अपने स्वाभिमान की !!
झूठ को सच बतलाने में रात दिन एक करती !
राजकाज़ इसका ही जैसे नहीं किसी से डरती !!
नींव हिलाकर रख डाली है इसने संविधान की !!
यूँ ही नहीं ये मीडिया गोदी मीडिया कहलाये !
किसके गोदी में बैठी है साफ़ नज़र ये आये !!
रोज़ क़त्ल करती है इस मुल्क़ के अभिमान की !!
बातें करती थकती नहीं है हिन्दू मुसलमान की !
मीडिया हिन्दुस्तान की ख़बरें पाक़िस्तान की !!
रचना जयप्रकाश ,जय ०५ जुलाई २०२१
No comments:
Post a Comment