Friday, July 2, 2021

!!विचार ही विचार करते हैं!!






मेरे हर  झूठ का  दिल से  वो  ऐतबार  करते हैं !
सुलूक़ उनके  यही,   मुझको  शर्मशार करते हैं !! 

उनकी   क़िस्मत  भला  क्यूँ  नहीं   रूठे  उनसे, 
तमाम उम्र जो बस, विचार  ही  विचार करते हैं !!
सितारे    ग़र्दिश   में   ही   उनके  सदा  रहते हैं, 
पढ़ाई  के  दिनों  में वक़्त  जो  बेक़ार  करते हैं !!

दिलो    दिमाग़   से  अपने   जो   काम  लेते  हैं,
ज़िन्दगी को वही अपने, गुलो  गुलज़ार करते हैं !
!

वक़्त  की   रेलगाड़ी  सामने  से  छूट जाती  है, 
जो पहले आप  पहले आप  का गुहार करते हैं !!
मुल्क़  का  ऐसे   होता  है  अल्ला  ही  मालिक, 
टीवी  अख़बार  जहाँ   झूठ  का प्रचार करते हैं !!

गलत को  गलत कहने की अगर हिम्मत नहीं ,
अपने क़िरदार के संग आप भ्रष्टाचार करते हैं !!

रचना -जयप्रकाश, जय ०१ जुलाई २०२१ 

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