!! गंगाधर ही शक्तिमान है !!
ख़ुद पर गुज़रे तो निकले जान है !
मशवरा देना बहुत आसान है !!
जिंदगी ख़ैर मनाये कब तक,
मौत का हर तऱफ सामान है !!
तल्ख़ मेरी थोड़ी ज़ुबान है,
लब्ज़ जैसे तीर कमान है !!
एक तरफ़ मंदिर मस्ज़िद की बातें,
एक तरफ़ कण कण में भगवान है !!
पढ़ा लिखा या की अनपढ़ हो,
यहाँ ग़फ़लत में हर इन्सान है !!
हिन्दू मुस्लिम कोई करतें रहें,
देश का धर्म संविधान है !!
धर्म सारे के सारे एक जैसे,
शुक्र है साथ अब विज्ञान है !!
कोई दुश्मन अगर हमारा है,
हमारा अपना ही अज्ञान है !!
आजकल बच्चा बच्चा जानता है,
की गंगाधर ही शक्तिमान है !!
देखना हैं कहाँ तक जातें हैं,
अभी तो शुरू हुई उड़ान है !!
रचना जयप्रकाश ,जय २८ जुलाई २०२१
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