Tuesday, July 27, 2021

!!जीवन यहाँ जश्न मनायेगा !!








विज्ञान    अगर    रुक    जायेगा !
यहाँ  धर्म  का  दम  घुट जायेगा !!

साहित्य  अगर   मुँह   बंद   रखे,  
इतिहास   का मन  बढ़  जायेगा !!
धरती   गर  संगदिल    हो जाये, 
जीना      दुभर     हो     जायेगा !! 

ये   रूह   ख़फ़ा   हो   जाये  गर, 
ये   ज़िस्म   बिदा    हो   जायेगा !!
जो    अपनी   ख़ुदी   में   डूबेगा, 
वही     हीरे      मोती      पायेगा !!

चाँद    हँसेगा    जब     खुलकर, 
चाँदनी    पे   शबाब  आजायेगा !! 
दुनियाँ  से अगर ग़म मिट जाये, 
जीने   का   मज़ा   भी   जायेगा !!

सूरज  को  ज़रा  जग   जाने दो, 
अंधियारा       भाग      परायेगा !!
जब   तक   सूरज   में  गर्मी   है, 
जीवन   यहाँ    जश्न    मनायेगा !!

रचना -जयप्रकाश ,जय २६ जुलाई २०२१ 




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