Monday, August 2, 2021

!! सच कोई ख़रीदार नहीं है !!






PART -1  :  Version -1.1 

टीवी  नहीं  है  वो , वो  अख़बार नहीं   है  !
या सच  का  कोई आज  ख़रीदार नहीं है !!

इस झूठ के धन्धे में  मुनाफ़ा ही  मुनाफ़ा, 
सच बेचने निकला हूँ  पर बाज़ार नहीं  है !!
हिन्दू है  कोई मुस्लिम  या   सिख  ईसाई ,
इंसानों वाला  अब यहाँ  क़िरदार नहीं है !!

अच्छे  दिनों  की आस , निराश  कर गई ,
डिग्री   है  हाथ  में मगर  रोज़गार नहीं है !! 

जो  क़त्ल  कर  गया   अब  भी  फ़रार है, 
पकड़ा जो गया असली गुनहगार नहीं है !!
सेवा  के   नाम   पर   मेवा  सब  खा रहे, 
सियासत से  बड़ा  कोई  व्यापार नहीं है !!

शब्दों  के बाण जाके निशाने पर लगेंगे ,
कलम से  तेज़  तीर या  तलवार नहीं है !!

रचना -जयप्रकाश ,जय ०१ जुलाई  २०२१   


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