जिंदगी चलती ना चमत्कार से !
कोई कह दे परवरदिगार से !!
शुकुन-ए -दिल उन्हें मयस्सर नहीं ,
भरे रहते जो अंहकार से !!
तरबियत किसको मिली है कैसी ,
पता लग जाता है व्यवहार से !!
असल सरमाया साथ जायेगा ,
जब भी जायेंगे इस संसार से !!
गुबार दिल का निकल जायेगा ,
बात कर लीजिये दिवार से !!
दूर के रिश्ते दूर होते गये,
समय चला है जिस रफ़्तार से !!
आजकल के हक़ीम कैसे हैं,
मर्ज़ क्या है पूछें बीमार से !!
वो ज़माना भी क्या ज़माना था,
समझ बढ़ती थी समाचार से !!
रचना -जयप्रकाश ,जय २२ जुलाई
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