क़द बड़े होते नहीं है एड़ियां उठाने से !
और दूसरों को सदा छोटा यहाँ बताने से !!
थोड़े वक्त के लिए भ्रम जरूर होता है पर ,
झूठ सच होता नहीं ज़ोर के चिल्लाने से !!
अब तुम्हारा वक्त है तुम करो जो ना हुआ,
सिकंदर बना करते नहीं झूठ बस फ़ैलाने से !!
दाग़ दामन पर ऐसे भी चिपक जाते हैं 'जय',
लाख कोशिशें करें मिटते नहीं मिटाने से !!
तितलियाँ आती नहीं पास ऐसे ही कभी,
सिर्फ़ कागज़ी फूल और पत्तियाँ सजाने से !!
झूठ सच होने का दवा कर रहा बेख़ौफ़ अब ,
हो गया आसां टीवी अख़बार के डर जाने से !!
रचना -जयप्रकाश ,जय २५ जून २०२१
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