Sunday, June 20, 2021

!! फ़िजूल की कहानी है !!






कैसा  है   ये   निज़ाम   कैसी  ये  निगेहबानी !
रघुबर तेरे  शहर   का  बदला  है  हवा  पानी !!

ख़ुदा  से भी बड़ा  यहाँ अब  पैसा हो  गया है , 
जिसके लिए दी  जा  रही ज़मीर की  कुर्बानी !!
परवरदिगार   तेरा  अब  नाम   लेके   दुनियाँ , 
इंसानियत को कर  रही  है रोज़   पानी पानी !!

उस  काम में  कभी  बरक़त नहीं  होती 'जय' , 
होती  है  जहाँ  पर  दौलद   की  बस  रवानी !!

शुक्र  मनाएं वो   जो  भी    अभी  हैं   जिन्दा  ,  
उन पर  जरूर  है   क़ुदरत   की  मेहरबानी !! 
ये  जिंदगी  मिली  क्यूँ   असली  सवाल ये है  , 
उनको मिला जबाब  पाने की ज़िद जो ठानी !!

ये राज-ए-जिंदगी  जिसने   भी   यहाँ  जानी ,
लगने  लगेगी है मौत  फ़िजूल  की   कहानी !!
रचना -जयप्रकाश ,जय २० जून २०२१ 

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