Friday, June 18, 2021

!! किस ज़माने में आप रहते हैं !!





जलने   वाले   ये    देख   जलते  हैं !  
आप   जब   साथ  मेरे    चलते   हैं !!

कौन फिर  अपने  बस  में रहता है, 
शोख  नज़रो के जब  तीर चलने हैं !!
इतना  डरना  है  अगर  दुनियां  से, 
आप  घर  से  ही   क्यूँ  निकलते हैं !!

पैरों  की   जमीं   भी   नहीं  बचती ,
वक़्त  बज  अपने   दाव  चलते   हैं !!

शायद  अब  की   वो  हर  जायेगा ,
अब  कहाँ   दाल  उसके  गलते  हैं !!
अर्श  से   फर्श   पे  आ   गिरते  हैं, 
हवा   में    इतने    जो   उछलते हैं !!

दोस्तों  से  वफ़ा   की  है  उम्मीद ,
किस   ज़माने  में   आप   रहते हैं !!

रचना -जयप्रकाश ,जय १७ जून २०२१ 

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