हुज़ूर कब तलक यूँ खामियां गिनायेंगे !
क्या अपने आप ही अच्छे दिन चले आयेंगे !!
अक्ल पर पर्दे सबके नहीं पड़े हैं अभी,
आप कुछ भी कहेंगे और मान जायेंगे !!
आप के पहले कुछ भी नहीं हुआ है क्या,
दिवारें झूठ की कितनी यहाँ उठायेंगे !!
काठ की हांडी चढ़ती ना बार बार यहाँ,
समझने वाले इशारों में समझ जायेंगे !!
तेल के दाम जिस कदर बढ़ रहे है अभी,
बहुत जल्दी ही डबल सेंचुरी लगायेंगे !!
किसे खबर थी वादों से पलट जायेंगे ,
बढ़ती महंगाई पर ख़ामोश नज़र आयेंगे !!
रचना -जयप्रकाश ,जय १३ जून २०२१
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