Friday, June 4, 2021

!!उँगलियाँ जलाते हैं !!










हमनशीं  जिनके   जब   बेवफ़ा  हो  जाते  हैं ! 
वो ताजमहल में भी फिर ख़ामियाँ गिनाते हैं !!

वक़्त  लगता   है   सीरत  का  पता  चलने में, 
लोग बहुत जल्द पर,सूरत  पे फिसल जाते हैं !!
भरोसा हद  से  ज्यादा  कभी  भी ठीक  नहीं ,
यहीं   कुछ लोग  आ  कर   के  मार  खाते हैं !!

दिया जलाने  में  मुसलसल  दायरा जरुरी है, 
जो  नहीं  रखते  अपनी  उँगलियाँ  जलाते हैं !! 

दर्द   सीने  में   छुपा  लेते  और   सुर्ख़  आँखें ,
ये  वही  लोग   जो   हर  वक़्त  मुस्कुराते   हैं !!
अच्छे  बच्चे  ज़्यादा   ज़िद नहीं  किया करते ,
अच्छे  बच्चे तो समझाने पर  समझ  जाते है !!

उनकी  हर   ज़िद   पूरी   करें   ज़रुरी   नहीं, 
ज़िद्दी बच्चे तो'जय'अक्सर ही बिगड़ जाते हैं !! 
रचना !!जयप्रकाश ,जय !! ०४ जून २०२१ 

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