मौत का खेल हरसू ज़ारी है !
जमीं पर शनि बहुत भारी है!!१
अपने आगे ना किसी की सुनना,
फ़क़त आदत नहीं बीमारी है!! २
धुआँ उठता नहीं कभी यूँ ही,
राख की ज़िस्म में चिंगारी है!!३
चैन से मर भी नहीं सकता वो,
यहाँ जिस जिस पे जिम्मेदारी है!!४
यही बेहतर अपनी हद में रहें ,
जिंदगी आज अगर प्यारी है!!५
समय ने ऐसा खेल खेला है,
ग़ायब सबकी ही होशियारी है!! ६
मसीहा कह के बच नहीं सकते ,
फ़क़त सिस्टम की जिम्मेदारी है !!७
रचना -जयप्रकाश ,जय ०४ मई २०२१
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