Thursday, May 27, 2021

!! बुद्ध हो जाने की हर संभावना है !!









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!! बुद्ध हो  जाने की हर संभावना है !!

जा  रहे  किन राहों  पर  ये  सोचना है ! 
सच  बयाँ  करना  अगर आलोचना है !!
जिस्म  को  ज़िंदा  तो रखते आ रहे हैं ,
लेकिन   मरती   जा   रही  संवेदना है !!

जिंदगी  है  या  की  कोई   कैद खाना, 
अपनी  मर्ज़ी  से   यहाँ  जीना  मना है !!
जिंदगी  की  बस्तीयों  में  चैन कम  है, 
मौत  की अक़्सर  यहाँ  अब गर्जना है !!

हर तरफ़ धुंधला  दिखाई दे रहा 'जय' 
हर तरफ़  फ़ैला   हुआ  कुहरा घना है !!
प्रेम  से  बढ़कर  ना    कोई  अर्चना है, 
प्रेम   का   भूखा   सदा   परमात्मा  है !!

दूसरों   को   जानना   आसान   होगा, 
जानना  खुद को मग़र एक साधना है !!
अनगिनत हैं नाम उसके इस धरा पर , 
जिंदगी  जिसकी   अनूठी  कल्पना है !!

वो  हृदय  गंगा   सा  पावन  ही रहेगा, 
दिल में  जिस पलती नहीं दुर्भावना है !!
नींद से जागो  ज़रा बस आँख खोलो ,
बुद्ध  हो   जाने   की  हर  संभावना है !!

रचना -जयप्रकाश ,जय २६ मई २०२१ 

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