हालात मिडल ईस्ट का फिर ग़मगीन हो रहा !
सर दर्द फिर इस्राइल फ़िलस्तीन हो रहा !!
गाज़ा उलझता रहता है हमास के दम पर,
पर ढ़ेर धीरे धीरे फ़िलस्तीन हो रहा !!
हिटलर के डर से भागे जो वो घर बसा लिए ,
और घर बार जिसका था वो यतीम हो रहा !!
वज़ूद की लड़ाई अब भी जमीं पर ज़ारी,
कोई हो रहा बर्बाद कोई रंगीन हो रहा !!
दुनियाँ फिर एक बार दो गुटों में बट रही ,
दुनियाँ ना सबक सीखी ना यक़ीन हो रहा !!
हर तरफ़ ही मज़लूम सियासत के हैं शिकार,
ये खेल पूरी दुनियाँ में बेहतरीन हो रहा !!
रचना -जयप्रकाश ,जय !! २०मई २०२१
No comments:
Post a Comment