वो मेरा ख़त मुझे लौटाया है !!
जो मेरे सर की क़सम खाता था ,
उसने इल्ज़ाम सर लगाया है !!
और तो और उसे ईनाम मिला ,
जिसने ये बस्तियाँ जलाया है !!
खूबियाँ उसको कहाँ दिखती हैं ,
वो तो सब ख़ामियां गिनाया है !!
हवा के साथ साथ चलता है,
किसी ने उसको भी धमकाया है !!
किसी ने उसको भी धमकाया है !!
और तो कुछ नहीं मैं कर पाया ,
अपने बच्चों को बस पढ़ाया है !!
बुज़ुर्गो की दुआएँ साथ मेरे,
मेरा सबसे बड़ा सरमाया है !! सरमाया-धन
बात करने से बात बनती है,
तुजुर्बा बिल्कुल आज़माया है !!
रचना -जयप्रकाश ,जय २४ मार्च २०२१
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