Sunday, March 28, 2021

!! लोहा जब गरम होता है !!







रोज़  एक  दिन   जिंदगी  से  कम  होता है ! 
ख़ुशी  जीने   का , मरने   का  गम होता है !!

ज़हर का प्याला एक  बार पीला कर देखो  ,
खुदा  होने का जिसको भी भरम  होता है !!
झूठ को झूठ  कह  देना  भी  आसान नहीं ,
किसी किसी में सच कहने का दम होता है !!

बड़ी आसानी से  चाहो तो मोड़ सकते हो, 
लाल   होकर   लोहा   जब  गरम  होता है !!

जिंदगी   मौके  सबको  ज़रूर  देती  '
जय' ,
फ़ैसला वक़्त  पर लेना भी अहम होता है !!

ज़ुबान  काट  कर, फिर  हलाल  करता है, 
ऐसे  क़ातिल  में, थोड़ा तो  रहम  होता है !!

रचना -जयप्रकाश ,जय , २६मार्च २०२१ 


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