रेत मुठ्ठी से फिसल जाती है !!१
एक पहलू से पकाकर देखो ,
ज़रूर रोटी फिर जल जाती है !!२
काठ की हांड़ी रोज चढ़ती नहीं ,
एक दिन मुश्किल से चल जाती है !!३
तब तलक चैन कहाँ आता है ,
जब तलक दाल न गल जाती है !!४
इधर वाले जब उधर जाते है ,
उनकी भाषा ही बदल जाती है !!५
क़रार ख़त्म जिस दिन होता है ,
ज़िस्म से रुह निकल जाती है !!६
रचना-जयप्रकाश ,जय १३/०३/२०२१
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