Saturday, March 13, 2021

!! ज़िस्म से रुह निकल जाती है !!









धूप    में    बर्फ़    पिघल   जाती  है !
रेत   मुठ्ठी    से    फिसल  जाती  है !!१ 

एक पहलू    से    पकाकर     देखो , 
ज़रूर  रोटी   फिर   जल  जाती है !!२ 
काठ  की  हांड़ी  रोज  चढ़ती नहीं ,
एक दिन मुश्किल से चल जाती है !!३ 


तब     तलक  चैन  कहाँ  आता है , 
जब  तलक दाल न गल  जाती  है !!४ 
इधर   वाले    जब    उधर जाते है ,
उनकी  भाषा  ही  बदल  जाती है !!५ 

क़रार   ख़त्म  जिस  दिन  होता है ,
ज़िस्म  से   रुह    निकल जाती  है !!६ 

रचना-जयप्रकाश ,जय  १३/०३/२०२१ 



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