Thursday, March 11, 2021

!! गरीबों की याद आती है !!








हुज़ूर   आप   की   ये   बात   खूब   भाती है  !
चुनाव  आते  ही   गरीबों  की  याद आती है !!१ 

बड़े  हुनर से  वादों   के   ज़ाल    फेकते  हो  ,  
बिचारी  जनता  हर  बार  ही  फंस जाती है  !!२ 

हुनर   नहीं  तो  भला  क्या  इसे कहा जाये, 
सफ़ेद   झूठ  भी   आवाम    मान   जाती है !!३ 

ये   सियासत   नए   दौर   की  सियासत है, 
दरमियाँ   मज़हबी    दिवारें   जो   उठती है !!४ 

गरीबी  ख़त्म   करने  की   क्यूँ   तम्मना  हो ,
गरीबों   पर सियासी  रोटियाँ     सेंकाती है !!५ 

उधर  होते  हैं  तो हर  बात  बुरी  लगती  है ,
इधर आते  ही  पूरी  दुनियाँ  बदल जाती है !!६ 

झूठे  वादों  की   सबसे   बड़ी  ये  ताक़त है   ,
पांच  साल   तलक   लोगों   को  चिढ़ाती है  !!७ 

मगर आवाम  को भी भूलने  की  आदत है,
हुकूमत  फ़ायदा  इसी   बात का  उठाती है  !!८ 

रचना -जयप्रकाश ,जय ११/०३/२०२१ 




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