Wednesday, March 10, 2021

!! दुनियाँ चाहे जैसी हो !!




इतने दिनों के बात मिले वो , हाल ना पूछें कैसी  हो  !
उनसे  ये  उम्मीद  नहीं थी,  दुनियाँ   चाहे   जैसी हो  !!१

उनकी   रुस्वाई  का    डर ,  हँसते    रहना  मज़बूरी  ,  
मुझको  ये   मंज़ूर   नहीं   था   बातें   ऐसी   वैसी   हो  !!२ 

अपनों का  ज़ुल्मों  सितम , और ज़माने भर का ग़म  ,
और किसी की  दुनियां में ना  क़िस्मत  मेरे जैसी हो  !!३ 

अपनी  अपनी  आँखें  सबकी, अपने  अपने चश्मे हैं   ,     
देखने का ढ़ंग दुनियां को,मुम्किन नहीं एक जैसी हो  !!४ 

जीने  वाले  जी  लेते  है ,अपनी   फिदरत  के  दम पे, 
इस दुनियाँ  की  फ़िदरत  चाहे  ऐसी हो  या वैसी हो !!५ 

काश  कभी  ऐसा हो  जाये  नफ़रत  की  दिवार ढहे ,    
आदमी बस इंसां  हो जाये  सोचो  दुनियाँ  कैसी  हो  !!६ 

  रचना -जयप्रकाश ,जय १०/०३/२०२१ 

  


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