लेकिन जमीं पर बस लूट ही रहेगी !!
ज़लेबी तरह उनकी घुमाने की आदत ,
ये आदत भला जनता कब तक सहेगी !!
भलाई इसी मे नींद से ज़ाग जाये ,
वर्ना यही गँगा अब उल्टी बहेगी !!
अभी भी बख़त , भ्रम के चश्मे उतारे ,
नहीं तो ये कुर्सी ना नीचे रहेगी !!
बस एक ही गीत गाते हो हरदम ,
एम. एस. पी. थी ,है और आगे रहेगी !!
रचना -जयप्रकाश ,जय १३/०२/२०२१
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