Saturday, February 13, 2021

!! काग़ज़ी एम. एस. पी !!











काग़ज़ी एम. एस. पी. थी, है और रहेगी !
लेकिन  जमीं  पर   बस  लूट  ही  रहेगी !!


ज़लेबी  तरह उनकी घुमाने  की  आदत , 
ये आदत भला  जनता  कब तक सहेगी !!


भलाई   इसी मे   नींद  से   ज़ाग   जाये ,
वर्ना  यही   गँगा   अब   उल्टी    बहेगी  !!  


अभी भी बख़त  , भ्रम  के  चश्मे उतारे  ,
नहीं  तो  ये    कुर्सी    ना   नीचे   रहेगी !!


बस  एक  ही   गीत   गाते   हो    हरदम ,
एम. एस. पी.  थी ,है   और  आगे  रहेगी !!

रचना -जयप्रकाश ,जय १३/०२/२०२१ 

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