बात हाथों से निकलती जा रही !
बर्फ़ होले होले पिघलती जा रही !!१
जितनी सुलझाने की कोशिश हो रही ,
और ही गुथ्थी उलझती जा रही !!२
आदमी बाज़ार के चंगुल में है ,
जिंदगी बस लोन पर इतरा रही !!३
जिसकी खायेगा उसी की गायेगा ,
मीडिया दरबारी निकलती जा रही !!४
धुंध ये सूरज पे भारी पड़ गया ,
ताक़त अंधेरों की बढ़ती जा रही !!५
अक्ल का ना उम्र से नाता है 'जय' ,
आजकल तो उम्र भर ना आ रही !!६
है खुली आखें मग़र हम सो रहे ,
उम्र की गाड़ी निकलती जा रही !!७
अच्छे दिन के ख़्वाब ,ख्याब ही रहे ,
सबकी होशियारी निकलती जा रही !!8
रचना -जयप्रकाश ,जय { jpj }
20 /02 /2021
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