Sunday, February 21, 2021

!! बर्फ़ होले होले पिघलती जा रही !!

 









बात   हाथों   से   निकलती   जा   रही !
बर्फ़  होले   होले    पिघलती   जा रही !!१ 

जितनी सुलझाने की कोशिश हो रही ,
और   ही   गुथ्थी   उलझती  जा  रही !!२ 

आदमी    बाज़ार    के   चंगुल    में  है ,
जिंदगी   बस   लोन   पर  इतरा  रही !!३ 

जिसकी   खायेगा   उसी   की  गायेगा  ,
मीडिया  दरबारी  निकलती  जा  रही !!४ 

धुंध ये    सूरज   पे   भारी  पड़    गया  , 
ताक़त  अंधेरों   की    बढ़ती  जा  रही !!५ 

अक्ल  का  ना  उम्र  से  नाता  है 'जय'  ,
आजकल  तो   उम्र  भर   ना  आ रही !!६ 

है  खुली   आखें    मग़र  हम  सो  रहे ,
उम्र   की   गाड़ी  निकलती  जा  रही !!७ 

अच्छे  दिन  के ख़्वाब ,ख्याब  ही रहे ,
सबकी  होशियारी निकलती जा रही !!8 

रचना -जयप्रकाश ,जय { jpj }
              20 /02 /2021 

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