Monday, January 11, 2021

II दूसरा वनवास II

 










राम  जिसके  लिए  रावण   से  उलझ जाते  हैं I
उसी    सीता   को   एक  तंज  पे   ठुकराते  हैं II


उस ज़माने  में  भी   आया  था  ज़माना   आगे ,
जिसके    आगे    श्रीराम   जी    झुक   जाते  हैं II


किसी की आबरू से बढ़कर कुल की मर्यादा ,
राम जिसके लिए  इस  हद तक गुज़र जाते हैं II


परीक्षा अग्नी की देकर भी ना  बच सकीं  सीता, 
पुरुष  पर आज  भी कहाँ  उंगलियां उठाते हैं II

रचना -जयप्रकाश ,जय 
०९/०१/२०२१ 

 

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