जब तक दवाई नहीं तब तक ढ़िलाई नहीं I
लेकिन चुनाव जहाँ बिल्कुल अप्लाई नहीं II 1
क़ानूनी वार संग , मौसम की मार ,
किसानो परआफ़त ऐसी कभी आई नहीं II 2
पीर भला जानें वो , औरों की क्या,
पैरों में फटी कभी, जिसके बेवाई नहीं II 3
ख़्वाब सभी ख़्वाब रहे , जीना मुहाल ,
ख़र्च आज जितना है, उतनी कमाई नहीं II 4
आग से है खेल रही कौन इसे समझाए ,
दामन जलायेगी, अकल अगर आई नहीं II 5
दिल में है कुछ और आँखों में कुछ ,
आईना छुपाता है ,कभी भी सच्चाई नहीं II 6
होनहार के फ़क़त , काम बोलते हुजूर,
अपने मुख से वो कभी करते बड़ाई नहीं II 7
फूट डालने की इनकी आदत पुरानी ,
पकडे जाने पर भी होती रुस्वाई नहीं II 8
पहले डराती है बाद में झुक जाती है ,
बहुत देर तक चलती इसकी ढिठाई है II 9
रस्सी पर चलने जैसा है ये काम ,
खाने वाला काम , करना अगुआई नहीं II 10
करता है वो फकत कोरी बकवास,
सत्ता में रह कर खाये मलाई नहीं II 11
भक्त ,अंधभक्तों में, बड़ा ही है भेद,
अन्धेपन में कभी दिखती सच्चाई नहीं II 12
रचना -जयप्रकाश ,जय
१४/१२/२०२०
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