Saturday, December 12, 2020

II हम भी कलन्दर II











क़ानून एम् ,एस ,पी,को बनाने की ज़िद ठानी है I
क्यूँकि  सरकारों   का   वादा  फ़क़त  जुबानी है II१ 


कोई  भी आके  कुछ  भी  दाम  लगाता   है यहाँ ,

मिलीभगत    नहीं  तो    क्या  ये   निगेहबानी   है II२ 


हम  भी  देखेंगे  ,कब  तक   ना   बात  मानोगे ,

ले    के  बैठे   हैं   महीनों   का   दाना   पानी है II३ 


बहुत     हुआ    अब      और   ना   सहेंगे  हम ,

ये   
इनकलाबी  अलख  हर    तरफ़  जगानी  है II४ 


मन  की  बातें   कहने    का   शौक  अच्छा  है ,

मगर  ना  सुनाने  की  आदत  बड़ी   पुरानी है II५ 


तुम  सिकन्दर    तो  हम   भी   कलन्दर जानी ,

वक्त    देखेगा   की   शिकस्त  किसे  खानी  है II६ 

  • रचना -जयप्रकाश ,जय 
  • १२/१२/२०२० 

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