क़ानून एम् ,एस ,पी,को बनाने की ज़िद ठानी है I
क्यूँकि सरकारों का वादा फ़क़त जुबानी है II१
कोई भी आके कुछ भी दाम लगाता है यहाँ ,
मिलीभगत नहीं तो क्या ये निगेहबानी है II२
हम भी देखेंगे ,कब तक ना बात मानोगे ,
ले के बैठे हैं महीनों का दाना पानी है II३
बहुत हुआ अब और ना सहेंगे हम ,
ये इनकलाबी अलख हर तरफ़ जगानी है II४
मन की बातें कहने का शौक अच्छा है ,
मगर ना सुनाने की आदत बड़ी पुरानी है II५
तुम सिकन्दर तो हम भी कलन्दर जानी ,
वक्त देखेगा की शिकस्त किसे खानी है II६
- रचना -जयप्रकाश ,जय
- १२/१२/२०२०
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