ज़िन्दगी का ये हुनर 'जय' आज़माना चाहिए II1
काम का है ये तुजुर्बा , मान लें तो ठीक है,
संग बच्चों के ज़रूर कुछ पल बिताना चाहिए II2
दूसरों को दोष देने का चलन अच्छा नहीं ,
हो सके तो खुद को भी आइना दिखाना चाहिए II3
मान लेने से कोई होता कभीं छोटा नहीं ,
भूल से भी भूल हो तो मान लेना चाहिए II4
थम गई गर ये हवाएँ आ गिरेंगे फ़र्श पर ,
दूसरों के दम पर ना ज़ादा उछलना चाहिए II5
या ख़ुदा राजा बना तो दिल बड़ा उसका बना ,
एक गुज़ारिश और अन्धा बहरा ना होना चाहिए II6
रचना -जयप्रकाश ,जय
१८/१२/२०२०
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