अगर जीना है यहाँ ख़ूब तैयारी रखें II१
काँच के घर में रहने का शौक़ ठीक मगर ,
कभी गलती से भी ना पत्थरों की उधारी रखें II२
सवाल तुम पे उठाये मज़ाल किसका है ,
आप तो बस अपनी तक़रीर जारी रखें II३
सुना है ओ झूठ सच की तरह कहता है ,
उसे सुने ज़रूर बस थोड़ी होसियारी रखें II४
चाँद तारों के आगे जहाँ और भी है
आसमां राह दिखाएगा जंग जारी रखे II५
जिंदगी रूप बदलती है कभी ख़त्म नहीं ,
मगर जाना है कहॉं ज़रूर जानकारी रखें II६
रचना-जयप्रकाश ,जय [09 MAY 2020]
तक़रीर -भाषण
वाहवा !
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