दिए जलाओ और अधेरों पर वार करो I
या सुबह होने का इंतज़ार करो II
खुली आखों से ही सपने देखना अच्छा ,
शर्त इतनी सी कोशिशें भी लगातार करो II
उम्र बढ़ने से खुदी की तलाश होती नहीं ,
खुद में उतरो और ख़ुदी का अविष्कार करो II
तुम्हें डुबाने की साजिश में सभी शामिल हैं ,
कश्ती छोड़ो अब तैर के दरिया पार करो II
तुम भी इतिहास बनाओ कारनामे करो ,
हुजूर बस अब ना औरों का दुष्प्रचार करो II
जिंदगी मौका सबको जरूर देती है ,
मशवरा इतना गलतियाँ न बार बार करो II
प्यार का ज़ज्बा खुश्बू बिखेर देता है ,
यकी न हो तो ज़रा ख़ुद से पहले प्यार करो II
रचना-जयप्रकाश ,जय
19 जुलाई 2020
बहोत खुब भाई!
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