क़ानून व्यवस्था का हाल है बदहाल I
ख़त्म होता जा रहा सरकारों का इक़बाल II
कानून ताख पर और फ़ैसले सड़कों पर ,
लोकशाही लगने लगा है किताबी ख़याल II
सत्ता का नशा है या मदहोशी का आलम ,
ऊपर से ये मिडिया बना हुआ है दलाल II
सत्ता को चाहिए विरोधी हों पी के टुन ,
राम जाने कितना लिखा है बुरा हाल II
रचना -जयप्रकाश ,जय
२२/ जुलाई /2020
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