Wednesday, July 22, 2020

किताबी ख़याल













क़ानून व्यवस्था  का हाल है बदहाल I
ख़त्म  होता  जा रहा सरकारों का इक़बाल II
कानून ताख  पर  और  फ़ैसले  सड़कों पर ,
लोकशाही  लगने  लगा है किताबी  ख़याल II
सत्ता  का  नशा है या मदहोशी   का आलम ,
ऊपर  से ये  मिडिया बना  हुआ  है दलाल II
सत्ता  को   चाहिए  विरोधी हों  पी  के  टुन ,
राम  जाने  कितना लिखा   है  बुरा    हाल II

रचना -जयप्रकाश  ,जय 
२२/ जुलाई /2020 

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