Thursday, July 2, 2020

सियासत इसका नाम है....



दे  के  छीन    लेने  का  चलन   आम  है I
सियासत   आजकल      इसका   नाम है II

मुफ़्त  में  मिलता  हुआ बस दिखता  है 
मगर    चुकाना  ही    पड़ता  दाम  है II

मसीहा   बनने  की  कोशिश  है बहुत 
मगर    कोशिशें    सब   नाकाम     है II

एक इसारे पर हवा भी रुख़ बदलदी है 
जिसकी  मर्जी से   ये  सुबह शाम है II

तुम  नहीं गम   नहीं   तेरी   याद  नहीं 
आज   दिल   को     बड़ा    आराम  है II

एक   न   एक   दिन   मुक़ाम आएगा 
अभी    कलम      मेरी     गुमनाम   है II

                           रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा
                               १ जुलाई 2020 

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