बिना मुहूरत जनम है बिना मुहूरत मर जाना है ,
जीवन का यह अटल सत्य फक़त नहीं अफ़साना है II 1
जीवन को जिसने जाना उनकी बातों का मोल कहाँ ,
लेकिन उनकी सुनते हैं हम जिनका अनुभव बचकाना है II 2
समझने वालों के लिए है बस एक इसरा काफी ,
समझ सको तो समझ लो वर्ना तो वक्त गवाना है II 3
दर्द का दरिया पार करो साहिल मिल जायेगा ,
वक्त गुजर जायेगा बस लगेगा एक अफसाना है II 4
अब आसूँ को आँखों से नहीं इजाजन बहाने की ,
पत्थर दिल भी पिघले जिससे अब ओ गीत बनाना है II 5
बिल्कुल है मालूम अंजाम आग से लड़ने का ,
फिर भी झूठी हर रस्मों को एक एक जलना है II 6
हिम्मत है तो आगे आओ आग का दरिया पार करो ,
प्रेम करो तो जीवन जानो कहता ये एक दीवाना है II 7
महावीर गौतम कबीर नाम सुना तो होगा ही ,
सम्बोथी का मतलब तो खुद को खुद ही में पाना है II 8
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा , जेपी ,
05 मई 2020 डोम्बिवली
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