Wednesday, May 6, 2020

लगन मुहूरत झूठ सब



बिना  मुहूरत     जनम     है   बिना   मुहूरत  मर  जाना है ,
जीवन  का  यह अटल   सत्य  फक़त  नहीं   अफ़साना है II 1

जीवन   को जिसने    जाना  उनकी बातों   का मोल कहाँ ,
लेकिन उनकी सुनते हैं  हम जिनका अनुभव बचकाना है II 2

समझने    वालों    के    लिए है    बस एक  इसरा काफी ,
समझ    सको तो   समझ   लो वर्ना   तो   वक्त गवाना है II 3

दर्द   का   दरिया    पार करो    साहिल     मिल   जायेगा ,
वक्त    गुजर   जायेगा   बस    लगेगा  एक  अफसाना है II 4

अब आसूँ   को   आँखों   से   नहीं    इजाजन  बहाने की ,
पत्थर  दिल भी पिघले  जिससे अब ओ  गीत   बनाना  है II 5

बिल्कुल   है   मालूम   अंजाम      आग    से   लड़ने का ,
फिर भी   झूठी    हर  रस्मों    को  एक   एक  जलना है II 6

हिम्मत   है तो आगे   आओ आग का   दरिया  पार  करो ,
प्रेम   करो तो  जीवन  जानो   कहता   ये एक दीवाना है II 7

महावीर   गौतम    कबीर     नाम    सुना   तो  होगा  ही ,
सम्बोथी   का  मतलब  तो खुद  को  खुद ही में  पाना है II 8

                                                रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा , जेपी ,
                                                             05 मई 2020  डोम्बिवली 




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