क्या रंग दिखाया है कोरोना जी आप ने ,
हैरान हो गया हूं
कुछ तो है
शराब में II 1
जो चीज छुप छुपाकर लिया करते थे सब लोग ,
सरे आम निकल पड़े हैं ओ भी इस अज़ाब में II 2
सबने दिया है दान दिल खोल कर के जय,
डर है न कही
चूक हो जाये हिसाब में II 3
हैरान हूँ
की आज जब से हादसा हुआ ,
रौनक ही बढ़ गयी तब से माहताब में II 4
जब भी सवाल पूछता हूँ रहनुमा से अब ,
पहले कहाँ थे तुम मिलता ज़बाब में II 5
यैसा भी क्या सबने यहॉं जुर्म कर दिया ,
चेहरा छुपाये
फ़िरते हैं सब नक़ाब में II 6
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा
05 मई 2020
अज़ाब - पीड़ा
माहताब - चाँद
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