काश सियासत अपनी भी सोनू सूद हो जाये ,
सच कहता हूँ वतन महफूज हो जाये II
आप जैसे ही असल जिंदगी के हीरो हैं ,
जीत तय है अगर ऐसा वज़ूद हो जाये II
जिन्दा दिल अब भी हैं हमको यकीन करना पड़ा ,
दिलेर होना काश हमारा मक़सूद हो जाये II मकसूद - उद्देश्य
देर इतना भी नहीं रब की अंधेरा छा जाये ,
करम बरसा अब की जिंदगी महमूद हो जाये II महमूद - शुभ
मुश्किलें खुद बखुद रास्ता यहां दिखतीं हैं ,
राह आसान है जो हौशला मज़बूत हो जाये II
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा ,डोम्बिवली
25 मई 2020
25 मई 2020
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