Thursday, May 21, 2020

सियासत की गर्मी


जितने थे  होशियार   चन्द   खुद  झगड़   पडे ,
कोरोना से लड़ते   लड़ते आपस   में लड़ पडे II 

मुसीबत   के   दौर में   सियासत  की ही गर्मी ,
आपस की रंजिशों से चमन ही ना    जल पडे II 

सियासत  ने जिस तरह अपना  रंग   दिखाया ,
डर है अभी भी हालत हाथ से ना फिसल पडे II 

डूबते को काश तिनके का सहारा ही मिलता 
यूँ ही  नहीं हम लोग घरोँ  को   निकल    पड़े II 

रचना -जयप्रकश विश्वकर्मा 
20 मई 2020 







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