उँगलियाँ यूँ ही नहीं उठता हूँ ,
खर्च करने के पहले कमाता हूँ II 1
सबको मालूम की हकीकत क्या है ,
मगर कहने का जोखिम मै उठता हूँ II 2
अब नए दोस्त बनाने के पहले ,
मैं कई बार आजमाता हूँ II 3
कोई भी लब्ज लिखने के पहले ,
मै उनको खूब गुदगुदाता हूँ II 4
मै भी इंसान हू सीने में दिल मेरे भी ,
कठिन हालत के आगे टूट जाता हूँ II 5
जब से पैरों में चुभ गए काँटे ,
कदम फूँक फूँक के मै उठाता हूँ II 6
हुनर सीख लिया जीने का जब से ,
पतंगें बारिसों में भी उड़ाता हूँ II 7
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा
,डोम्बिवली 01मई 2020
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