अभी तो ट्रेलर है रोता है क्या ,
आगे आगे देखिये होता है क्या II 1
बोया बबूल तो आम कैसे हो ,
रो रो के दामन भिगोता है क्या II 2
आम बड़ा ख़ास है इलेक्शन में बस ,
दिन जैसा रात कभी होता है क्या II 3
लूट लिया घर और सोते रहे ,
इतनी गहरी नींद कोई सोता है क्या II 4
बिना तैयारी हम लड़ने चले ,
दुनिया में ऐसा कहीं होता है क्या II 5
लड़ने चले थे और ख़ुद लड़ पड़े ,
नाव अपनी खुद कोई डुबोता है क्या II 6
अपनी मुसीबत कुछ कम तो नहीं ,
दूसरों का बोझ कोई ढोता है क्या II 7
हिम्मत है तो कुछ कर के दिखा जा ,
सपने फ़कत सजोंता है क्या II 8
जिसको हो चिंता एहले वतन की ,
नफ़रत के बीज़ कभी बोता है क्या II 9
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा
15 मई 2020
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