कर्ज के बोझ से क्या और दबाया जाएगा ,
राहत फकत अमीरों को ही दिया जाएगा II 1
भूख तो आज है सपने मगर कल के हसीन ,
मज़ाक क्या है कोई ज़रा समझायेगा II 2
अब भी उम्मीद है हमें रहमो करम का ,
काफिला गाँवों का वर्ना नहीं रुक पायेगा II 3
राहत -ए -फ़रमान बिल्कुल ही शानदार मगर ,
वक्त आगे एक एक कर पर्दा हटाएगा II 4
जो भी करना है जल्दी करिये हुरूर ,
वरना खाफिला राहों में ही लुट जाएगा II 5
आम लोगों ज़रा औक़ात में रहना सीखो ,
वर्ना सबको रस्ता दिखाया जायेगा II 6
अब नहीं पीछे हटेंगे जान जाये तो जाये ,
हौशला अब कर लिया जो होगा देखा जाएगा II 7
भूख अपनी कुछ दिन को तो बुझा न सकें ,
माफ़ करोङों मगर आमीरों का हो जायेगा II 8
काश ओ नींद में होते तो जगा भी देते ,
जागते को मगर कौन अब जगाएगा II 9
रचना -जयप्रकश विश्वकर्मा
14 मई 2020
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