काश बातों से जो पेट भर जाया करते ,
तो ग़रीब लोग भूखों न मर जाया करते II 1
अगर सरकारों में थोड़ी सी भी ख़ुद्दारी होती ,
हजारों मील लोग घरों से न जाया करते II 2
काम करवाना इतना भी नामुम्किन नहीं ,
विरोधी दल जो अगर ऑंख दिखाया करते II 3
बिल्कुल मुम्किन राजा की नींद उड़ जाती ,
अपने हक़ के लिये गर सड़कों पे उतर जाया करते II 4
इतनी मदहोश सियासत कभी नहीं होती,
नागरिक गर अपनी जिम्मेदारियाँ निभाया करते II 5
बिल्कुल मुम्किन है सभी काम वक़्त पर होता ,
भक्त गण भी अगर आवाज उठाया करते II 6
हिंदू मुस्लिम से गर मिडिया को वक्त मिल जाता ,
तभी तो ये जमीनी मुद्दे उठाया करते II 7
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा
12 मई 2020
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