क्या बताऊ तुम्हे क्या मेरा हाल है ,
जबाब कुछ नहीं सवाल ही सवाल है ii 1
मै पुरे होश में अपना ही घर जलाया था ,
मगरअब होश नहीं है तो बस मलाल है ii 2
सजा मुझकोऔर रिहाई गुनहगरों को ,
खुदा इंसाफ भी तेरा क्या कमाल है ii 3
काम का दाम यहॉं नाम में रखा क्या है
नाम हो जाता है गर काम बेमिसाल है ii 4
जितना समझोगे उतना ही उलझ जाओगे ,
जिंदगी दूर तक फैला हुआ एक जाल है ii 5
सत्य अपना हो तो ही काम आता है ,
मर्जी है आप की पर ये मेरा ख्याल है ii 6
रचना -जय प्रकाश विश्वकर्मा ,डोम्बिवली
25 अप्रैल 2020
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