राजा कहे रात है तो परजा भी कहे रात ।
क्या बतलाऊ आप को ये सुबह सुबह की बात II 1
कोई तुर्रम खान तो कोई खुद को कहे सिकंदर ।
आफत की छोटी पुड़िया ने दिखा दिया औकात II 2
हमने ही क्या खूब जमी पे उधम मचाया था ।
घर में बंद देख हसती है हमपे कायनात II 3
जिनके लिए एलेक्शन में वादों के पुल बांधे ।
बे घर गरीबों के लिए अब कहाँ गए जज़्बाद II 4
डॉक्टर और सुरक्छा कर्मी फर्ज निभाए खूब ।
आफत टलने पर बधे पहले इनके सर पे ताज II 5
रचना -जय प्रकश विश्वकर्मा , डोम्बिवली
26 अप्रेल 2020
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