चैनो अमन तो छीन ही लिया क्या लोगे बच्चे की जान ,
बहुत हुआ सम्मान अब तो बहुत हुआ सम्मान II 1
धैर्य की सारी सीमाएं एक एक कर टूट गयी सारी ,
उनकी मगरूरी से अब मै तनिक नहीं हैरान II 2
आँखें मूंदे रहने से मसले हल कभी हुए हैं क्या ,
मुश्किलें बस बढ़ती रहती जो बनते है अनजान II 3
मेरी किस्मत ने जाने क्या क्या रंग दिखाए हैं ,
जब जब मै खुशियाँ बाटीं मिला फ़कत अपमान II 4
इधर उधर की बातें करना वक्त गवाना है ,
प्रेम का ढाई आखर ही है सब पुस्तक का ज्ञान II 5
वक्त के आगे जोर किसी का नहीं यहाँ चलता है ,
आखिरी बजी हार गए हैं ऋषि और इरफान II 6
रचना -जय प्रकाश विश्वकर्मा ,डोम्बिवली
30 अप्रैल 2020
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